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Kane And Abel...With A Twist!

Jan 27, 2017 | 16 minutes |

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 We bring to you creations by the pens of unsung authors of Hel(L). This one is by Prateek Mangal , IIM Lucknow Batch of 2018

Kane एवं Abel दो महानुभाव प्रकृति द्वारा इस संसार को दिए गए उपहारों के नाम हैं । वैसे तो प्रकृति रचने वाले रचनाकार ने दोनों के निर्माण में कोई कसर नहीं छोड़ी और पूरी कोशिश की कि दोनों महानुभावों के रंग रूप , चाल चलन , खूबसूरती तथा बुद्धिमानी में कोई कमी न रह पाए । लेकिन आखिरकार ऊपरवाले की विज्ञान के सामने क्या चलती । XY ,XX तथा उनके respective माता पिता के genes ने दोनों के व्यक्तित्व में उतना ही अंतर कर दिया था जितना अंतर विराट कोहली तथा रोहित शर्मा में है । रंग रूप , चाल चलन , रहन सहन के अलावा जहाँ एक ओर एक महानुभाव के जागरूक माँ बाप ने अपने बच्चे के लिए ज़मीन जायदाद , दौलत शोहरत , बढ़िया खान पान की व्यवस्था की थी , वहीँ दूसरी ओर दूसरे महानुभाव के तो माँ बाप के ठिकाने ही नहीं थे ।

   आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार ये दो महानुभाव हैं कौन ? आपकी जिज्ञासा को दूर करने के लिए मैं आपको बता दूँ की ये दोनों भगवान भैरव के परम भक्त , हमारे सबसे वफादार मित्र श्वान प्रजाति के सदस्य आईआईएम लखनऊ में रहने वाले दो कुत्ते हैं । एक का नाम Kane हैं जो कि हॉस्टल 16 में ground फ्लोर पर बड़े शानो शोकत के साथ आरामदायक जीवन व्यतीत करते हैं और दूसरी ओर Abel हैं जो कि Gate number 2 पर एक छोटे से कबूतरखाने में अपना गुजारा करते हैं । 

जहाँ एक ओर Kane का दिन गरमा गरम रोटी , अंडे , पूड़ी सब्ज़ी , Parle-G और कभी किस्मत अच्छी हो तो खाखरे के साथ प्रारम्भ होता था, वहीँ दूसरी ओर Abel को सुबह होते ही कड़ाके की ठण्ड , भोजन के लिए मीलों भागना और कभी किस्मत ख़राब हो तो गार्ड साहब के प्रकोप का भी शिकार होना पड़ सकता था ।

वैसे तो दोनों उम्र में सामान थे लेकिन दोनों के रहन सहन , चाल चलन में ज़मीन आसमान का अंतर था । Kane थोड़े हट्टे कट्टे , खूबसूरत आँखे तथा चमकीले फर वाले थे वहीँ दूसरी ओर Abel बिल्कुल पतले दुबले , गंदे मद्दे से थे । Abel इतने दुबले पतले व कमज़ोर थे कि किसी भी विद्यार्थी को उस कड़ाके कि ठण्ड में उनके जीने की आस न थी । शायद यही वजह थी कि सबका लाड़ प्यार व दुलार Kane पर ही उमड़ता था । नित्य नए नए पौष्टिक पकवान खाकर Kane दिन ब दिन तंदुरस्त होते जा रहा था , वहीँ दूसरी ओर एक वक़्त का खाना भी न जुटा पाने के कारण Abel की हालत बद से बदतर होती जा रही थी ।

जीवन की कठिनाइयों से लड़ लड़कर Abel अब थक चुका था और मरणासन्न स्थिति में पहुच चुका था। उसकी दयनीय हालत देखकर आईआईएम लखनऊ के छात्रों को विश्वास हो चुका था कि Abel अब शायद ज्यादा दिन सूर्यनारायण भगवान के दर्शन नहीं कर पायेगा । लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था । 2017 का आगमन हुआ । नए साल के उपलक्ष्य में हर साल की तरह इस साल भी कई लोगों ने पूरे साल जिम ज्वाइन करने का resolution किया ।

इन लोगों में हॉस्टल 16 में रहने वाले 4 सहपाठी ( यशवंत , सुमन, राहुल एवं लेखक महोदय ) भी शामिल थे जो कि gate  number 2 से होकर जिम की ओर जाते थे । रोज़ जिम जाते समय हमारी नज़र Abel पर पड़ती और उसे देखकर हमारा दिल पसीज उठता । Abel की दयनीय हालत देखकर हमने Abel की मदद करने का निश्चय किया ।

अब से रोज़ जिम जाना तथा Abel के लिए मैस से अण्डे लाना हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका था । एक एक दिन गुजरते गुजरते जिम जाने का motivation negative exponential curve की तरह गिरने लगा लेकिन आज Abel को अण्डे खिलाना है, इस motivation ने जिम के कार्यक्रम को जिन्दा रखा । dedication का आलम यह था कि एक दो दोस्तों ने तो शुद्ध शाकाहारी होते हुए भी अण्डे खाने चालु कर दिए थे ताकि बचे हुए Yolk को Abel के लिए ला सके । अरे साहब स्थिति तो तब गंभीर हो गयी जब यशवंत ने मैस में अपने बगल में बैठी मोहतरमा से कह दिया कि ," Mam, please अण्डे में से Yolk बचाकर मुझे दे दीजियेगा " । पुरे 15 मिनट की माथापच्ची के बाद हम मोहतरमा को पूरा माजरा समझा पाए और स्थिति नियंत्रण में आ सकी ।

परेशानी भले ही कितनी भी हुई हो लेकिन हम चारों दोस्तों की लगन मेहनत का परिणाम धीरे धीरे सामने आने लगा था । जी नहीं जिम जाने का असर तो किसी पर नहीं दिखा, न तो यशवंत के 6 pack abs बने, न सुमन का वजन कम हुआ और न ही राहुल और लेखक महोदय का stamina बड़ा, बल्कि Abel की स्थिति में सुधार होने लगा । धीरे धीरे उसका वजन बढ़ने लगा, आँखों में चमक आने लगी, बाल गहरे पीले व चमकीले होने लगे ।

Abel की दिन ब दिन सुधरती हालत से लोग चकित होने लगे । कई लोगों को तो curious case of Benzamin Button की movie यथार्थ लगने लगी जिसमे कि एक व्यक्ति बुढ़ापे से जवानी की ओर अग्रसर होता है ।

लेकिन कुछ भी हो Abel ने भी हम चारों दोस्तों की आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी । जैसे ही सुबहः के 7:30 बजते Abel हमारे स्वागत में तैयार रहता, हमारे आगे पीछे भागता रहता। पैरों में लिपटना, दुम हिलाना इत्यादि उसके कृतज्ञता तथा प्रेम भाव को प्रदर्शित करने के तरीके थे । सुमन से तो उसे विशेष प्रेम था । उसके इशारे पर वह दो पैरों पर चलकर करतब दिखाता, और थोड़ा सा अतिरिक्त प्यार पाने पर भोंक भोंक कर अपनी ख़ुशी का इज़हार करता ।

सुमन, यशवंत, राहुल एवं लेखक महोदय Abel के साथ कुछ समय व्यतीत करके होटल वापिस आते तो बाकि सहपाठियों को Kane की आवभगत करते हुए पाते थे । Kane दही, छाछ, खीर पूड़ी, अण्डे, खाखरे इत्यादि खाने का इतना अदि हो चुका था कि दो दिन पुराने Parle-G को तो वह सूंघता भी नहीं था । आलम यह था कि अब तो " पुच पुच " को भी वो अनसुना कर देता था और तो और जनाब अगर धूप में आराम फरमा रहे हों और आप उनके लिए कुछ लेकर जायें तो जनाब ऐसा सूखा मुँह बनाते थे कि मानो कर रहे हों कि " अभी हमारे खाने का वक़्त नहीं है, उधर रख दीजिये, मन किया और खाना पसंद आया तो खा लेंगे "

खैर समय व्यतीत होता गया, Kane एवं Abel दोनों बड़े होने लगे । Kane अपने रहन सहन, खान पान के अनुरूप दिन ब दिन खूबसूरत व बलशाली होने लगा । Abel का भी धीरे धीरे वजन बढ़ने लगा लेकिन Kane के मुकाबले वह काफी दुबला पतला और कमज़ोर ही रहा । unlike Kane , Abel ने अपना कृतज्ञता तथा आदर का दामन कभी नहीं छोड़ा । धीरे धीरे उम्र बढ़ने पर breakfast में मिलने वाले अण्डे Abel के लिए कम पड़ने लगे । उसने भी थोड़ी अतिरिक्त मेहनत करके अपने भोजन पूर्ति के लिए अन्य साधनों का इंतजाम कर लिया । कभी आने जाने वाले किसी राहगीर से कुछ मांग कर खा लेता, कभी dustbin पलटकर कुछ खा लेता और कभी किस्मत अच्छी हुई तो Gate नंबर 2 के गार्ड साहब का बचा हुआ घर का खाना खा लेता । कुल मिलाकर किसी तरह अपने दिन भर के लिए ज़रूरी Protein और calcium का जुगाड़ हो जाता । दूसरी ओर दिन ब दिन मोटे होते जा रहे Kane ने doctors की सलाह पर नमक और चीनी खाना थोड़ा कम कर दिया था । biscuits में Parle-G तो बिलकुल बंद था, हाँ अगर dark fantasy मिल जाये तो थोड़ा चख लेता था । drinks में normal tea की जगह green tea और dinner में फ्रूट्स prefer करने लगा था ।

Abel हम सब साथियों का पक्का मित्र बन चुका था । सुबह वह हमें जिम छोड़ने जाता, कभी हमारे साथ मैस के रस्ते पर हो चलता, लेकिन बड़े आशचर्य की बात थी कि वह कभी हॉस्टल 16 की तरफ आने वाले रास्ते पर कदम नहीं रखता था । यह बात हमें बड़ी अजीब सी लगती थी लेकिन हम उसे अनदेखा कर देते थे । एक दिन राहुल ने कह ही दिया कि चल तुझे हॉस्टल 16 दिखा लायें । उसने “ पुच पुच “ करके Abel को हॉस्टल 16 की तरफ लाने का प्रयास किया लेकिन Abel अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ । Abel की इस उद्दंडता को देखकर राहुल के ego को थोड़ी ठेस पहुची । उसे लगा कि Kane की तरह Abel भी घमंडी हो चुका हे व उसे अब उन लोगों की परवाह नहीं रही । लेकिन बाकी दोस्तों द्वारा समझाने पर राहुल को विश्वास हुआ कि हमारा Abel अभी बिगड़ा नहीं हैं । अगले दिन हम चारों ने मिलकर Abel को हॉस्टल 16 में ले जाने की युक्ति बनायी । उस दिन हम लोग मैस से रोज से ज्यादा अंडे लेकर आये लेकिन Abel को नहीं खिलाये बल्कि उसे अंडे दिखाकर हॉस्टल 16 की और चलने का इशारा किया । Abel उनके पैरों में लोटलोटकर, दुम हिलाहिलाकर थक गया लेकिन उसे फिर भी अंडे नहीं मिले । सब प्रयास व्यर्थ जाने पर उसने दो टांगों वाला करतब दिखाना चालु कर दिया जो कि लोगों को रिझाने के लिए उसका ब्रह्मबान था । लेकिन आज तो उसकी यह युक्ति भी असफल रही । फिर राहुल उसे अंडे दिखाकर हॉस्टल 16 की ओर चल दिया । राहुल के इस सूखे व्यवहार को देखकर Abel stunned रह गया व उसने बड़ी उम्मीदों से सुमन की ओर देखा । सुमन की ओर से भी कोई उत्तर न पाकर Abel निराश हो गया और समझ गया कि आज अगर उसे अंडे खाने हैं तो हॉस्टल 16 की ओर जाना ही होगा । बड़ी घबराहट के साथ तथा बेमन से Abel ने हॉस्टल 16 की ओर कदम बढाना चालु किया ।

 हॉस्टल 16 की सीमा रेखा के अन्दर पहुँच कर जैसे ही हमने Abel को अपने वायदानुसार अंडे खिलाना प्रारम्भ किया, Abel तो उलटे पैर वापिस भागने लगा । इससे पहिले कि हम कुछ समझ पाते हमने देखा कि Kane Abel के पीछे ऐसे भाग रहा था जैसे कि कोई माली फूल तोड़ के भाग रहे बच्चों के पीछे भागता है । Abel को इस तरह दुम दबाकर भागता हुआ देखकर हम सन्न रह गए, लेकिन आखिरकार Abel कर भी क्या सकता था । Kane जैसे हष्ट पुष्ट विशालकाय जीव के सामने दुबले पतले Abel की आखिर क्या मजाल थी । उस दिन Kane और Abel के व्यवहार को देख कर हमें एक बात का तो अहसास हो गया कि एक बार यदि कोई किसी की गर्लफ्रेंड के साथ flirt भी करे तो शायद उसे माफ़ किया जा सकता है लेकिन अगर कोई कुत्ता किसी दुसरे कुत्ते के इलाके में घुस आये तो फिर वो माफ़ी का हकदार नहीं होता । कुछ ही देर में Abel को gate no 2 से बहार खदेड़कर Kane वापिस आया और अपनी जीत के जश्न की ख़ुशी में भूख न होने पर भी Abel के लिए लाये गए अंडे उठाकर चल दिया । उसकी इस उद्दंडता पर सुमन को इतना गुस्सा आया कि मन किया कि एक तमाचा रसीद दे लेकिन उसने अपने आप पर काबू रखा ।

उस दिन के बाद हमने फिर कभी Abel को किसी चीज़ के लिए विवश नहीं किया । राहुल को तो खासकर Abel के साथ हुए बेज्जत्ति पर पछतावा था । वैसे तो gate no 2 पर रहने के कारण Abel इस प्रकार की बेज्जती का आदि था लेकिन Kane के द्वारा उस दिन बेज्जत होना उसे कुछ ज्यादा अखर गया । वजह शायद Kane की बहन Rosy थी जो कि दूर खड़े होकर यह नज़ारा देख रही थी । यकीन मानिये किसी महिला के सामने अगर बेज्जती हो जाये तो कुत्तों को भी इंसानों की तरह ही बुरा लगता है । वजह कुछ भी रही हो लेकिन उस दिन के बाद से Abel पूरी तरह से बदल चुका था । जहाँ पहिले उसका समय दिन भर के भोजन की व्यवस्था करने या इधर उधर अवारागिर्दी करने में व्यतीत होता था अब उसने भी हमारी तरह थोडा कसरत के लिए समय निकलना प्रारम्भ कर दिया । सुबह 7:30 बजे Abel हमें कभी stretching करता हुआ दिखता तो कभी दीवार फलांगने की कोशिश करता हुआ दिखता । stamina develop करने के साथ साथ वह अपने दो पैरों पर चलने वाले अनोखे कौशल को और ज्यादा निखारने का प्रयास करने लगा और तो और फिट रहने के लिए शाम के वक़्त तो diet भी काफी कम कर दी  । उसकी हरकतों से हमें पूरा भरोसा हो गया था कि वह Kane से दो दो हाथ करने के लिए competitive advantage develop करने का प्रयास कर रहा है । लेकिन हमें पूरा भरोसा था कि Kane के सामने वह दो पल भी नहीं टिक पायेगा ।

कहते हैं न कि भीगा हुआ आदमी बारिश से नहीं डरता, उस दिन Kane से बुरी तरह पिटने के बाद उसके मन में से Kane का डर थोडा कम हो गया था । Abel धीरे धीरे हॉस्टल 16 की ओर भी आने लगा था । यह बात अलग हे कि Kane को देखकर अभी भी वह दुम दबाकर भाग जाता था लेकिन अगर Kane आस पास न हो और मौका मिले तो वह Kane के लिए सजे 56 भोग में से चुपके से कुछ उठाकर भाग जाता । और कभी Kane के हत्थे चढ़ जाये तो फिर दो दिनों तक हॉस्टल 16 की ओर आँख उठाकर देखने की जुर्रत भी नहीं करता ।

समय बीतता गया, Kane के रहन सहन, शौक मौज, ऐशो आराम को देखकर Abel frustrate रहने लगा । उसे लगने लगा कि आखिर कब तक वह ऐसे ही दिनभर की दोड़ धूप करता रहेगा ? आखिर कब तक वह gate no 2 से बाहर रहने वाले आवारा कुत्तों से लड़ता रहेगा ? आखिर कब तक वह Kane से छिपकर डर कर जीता रहेगा ? धीरे धीरे ये तीखे सवाल उसे कचोटने लगे और उसकी घुटन बड़ने लगी । फिर आखिरकार एक दिन वह हुआ जिसकी उम्मीद हम में से किसी ने भी नहीं की थी ।

 उस दिन सुबह हम लोग जब रोज की तरह उसके लिए अंडे लेकर मैस से लौटे तो वह हमारे साथ हॉस्टल 16 की ओर हो लिया । Kane के हॉस्टल 16 में होते हुए भी Abel को हॉस्टल 16 की और आते देख हमें यकीन नहीं हुआ । राहुल जो कि पहिले ही उसकी वजह से Kane के द्वारा Abel की दुर्गति पर शर्मिंदा था, नहीं चाहता था कि आज फिर उसके सामने Abel की पिटाई हो । उसने और सुमन ने डांट डपट कर Abel को gate no 2 की ओर भगाने का प्रयत्न किया लेकिन Abel अपनी जिद पर अड़ा रहा । खैर हारकर हमने उसे Kane के प्रकोप से बचाने की योजना बनायी व उसके चारों ओर घेरा बनाकर चलने लगे । Kane हॉस्टल 16 के gate पर ही बैठा हुआ था । उसे देखकर एक बार तो Abel के कदम लडखडाये लेकिन उसने हिम्मत जुटा कर चलना जारी रखा । Abel को देख Kane आग बबूला हो उठा लेकिन हम लोगों को साथ देखकर उसने शांत रहना ही मुनासिब समझा ।

जैसे ही हमारा कारवां Kane से दो कदम आगे बड़ा, Abel ने सुरक्षा घेरे से निकल कर Kane पर हमला बोल दिया । हमें सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि Abel ऐसी हिमाकत कर सकता है । अचानक से हुए हमले से Kane चौंक गया । उसने पलटवार करने की कोशिश भी की लेकिन Abel की चुस्ती फुर्ती के सामने उसकी एक न चली । Kane जहाँ कुछ विद्यार्थियों द्वारा सिखाये गए कुंगफू के दांव लगाने का प्रयत्न कर रहा था वहीँ दूसरी ओर Abel देसी पहलवान की तरह Kane को पटखनी पर पटखनी दिए जा रहा था । Abel Kane को कभी गर्दन पर काटता, तो कभी भागकर उसका पाँव पकड़ लेता, तो कभी कान दबोच लेता । इस तरह की लड़ाई का शायद Kane का पहला अनुभव था जबकि Abel तो आवारा कुत्तों से लड़लड़कर इस कला में निपुण दिख रहा था । हम लोग जो कि Abel के बचाव के लिए आये थे, रेफरी की भूमिका निभा रहे थे । पीछे से किसी ने background में “ ये तो धाकड़ है, धाकड़ है, ये तो धाकड़ है “ गाना बजा दिया था । दोनों करीब दस मिनट तक गुत्थम गुत्था होते रहे । बीच बीच में Kane के जोरदार पंच खाकर Abel कई फीट दूर जाकर गिरता लेकिन फिर दुगुनी फुर्ती से Kane पर हमला बोल देता । ऐसा प्रतीत होता था कि मानो कल रात के खाने में 10 12 revital की गोलियां मिला कर खा गया हो ! धीरे धीरे Kane का stamina जवाब देने लगा । वह थककर चूर हो चुका था और उसमे अब Abel से लड़ने की हिम्मत नहीं बची थी । Kane ने मौका देखकर वहां से दुम दबाकर भागना ही उचित समझा । Kane को इस तरीके से अपनी जान बचाकर भागता देख Abel को अपनी जीत का अहसास हो चुका था । Kane की पिटाई करके Abel इतना खुश था की मानो उसे PPO मिल गया हो । वह हमारे चारों और घूम घूम कर तथा अपने दो पैरों वाला करतब दिखाकर अपनी जीत का जश्न मना रहा था ।

इस घटना को कई दिन बीत चुके हैं । उस दिन के बाद यों तो कुछ ज्यादा नहीं बदला है । Abel अभी भी gate no 2 पर ही रहता है । हॉस्टल 16 की ओर भी वह यदा कदा Rosy से मिलने अथवा किसी पार्टी के बाद बचे कुचे खाने का मज़ा लुटने आता है , हाँ यह बात ज़रूर है कि उसे अब किसी का खौफ नहीं है । Kane अभी भी हॉस्टल 16 के विद्यार्थियों का चहेता है, लेकिन अब वह अपने वज़न पर ज्यादा ध्यान देने लगा है । थोडा बहुत अगर कुछ बदला है तो वह है अपनी बिरादरी में Abel की इज्ज़त । खासकर हॉस्टल 11 एवं 12 के कुत्ते जो कि पहले Abel को अपनी दोस्ती लायक भी नहीं समझते थे, वे सब अब बाकायदा अपने हॉस्टल में हुई किसी भी पार्टी पर Abel को निमंत्रण भेजना नहीं भूलते थे । Kane जैसे हष्ट पुष्ट कुत्ते की पिटायी की खबर दूर दूर तक फैली है , यहाँ तक कि हॉस्टल 1,2, अमूल एरिया तथा फैकल्टी ब्लाक के कुत्तों की ओर से भी Abel के लिए बधाई सन्देश आ रहे हैं । कुछ कुत्ते तो दबी दबी आवाज़ में Abel को डॉग वेलफेयर कमिटी का अध्यक्ष बनाने की भी मांग कर रहे हैं, बल्कि Abel जैसे कुत्तों के हितों की रक्षा के लिए एक बिलकुल नया डॉग रिसोर्स मैनेजमेंट (DRM) सिस्टम बनाने पर तो सबकी सहमती भी मिल चुकी हैं ।

 

भविष्य में चाहे कुछ भी हो लेकिन Abel ने Kane की पिटाई करके आईआईएम लखनऊ कम्युनिटी के कुत्तों के सामने एक उदहारण पेश किया है जिसकी मिसालें कम से कम कुछ वर्षों तक तो दी जाती रहेंगी  ।

About the Author:

Prateek Mangal is a 1st year student at IIM Lucknow. He has an avid interest in reading and writing, specially Hindi literature. In his free time, he loves to write humorous short stories.