The 70
th Republic Day was celebrated with zeal and vigour at IIM Shillong. The program commenced with Parade and the Flag hosting; the campus reverberated with our National Anthem. Thereafter, the students, faculty and staff were addressed and motivated by our Director Dr. Keya Sengupta.
To relive the spirit of the day, we -students of PGPEx 2018-19, congratulated the IIM Shillong fraternity and recited self-composed poems:
An Ode Of The Constitution
-Ashutosh Jha
I have no religion, no cast, no creed
I was made to have only one belief
Belief to be united, belief to believe.
I am the soul, I am the path
I am what Ambedkar has thought
I am the life line, I am the root
Follow the ACT's, Follow the rule.
I try to uplift the masses
I am destined to pragmatic decisions
I try to simplify your dilemmas
To strop the charismatic edifice.
Let me not fell prey of your agony
Let me not gasp in strangled freedom
I was made to clasp your hand
Abide with me to lead the world.
See my stillness in my tears
I live always in fear
Refrain brawls over my name
I am the constitution, together let’s carry the flame.
Together let’s carry the flame!
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पदचिन्ह
-नय्यर खान
नेत्र मूंदे आये थे हम
नेत्र मूंदे उस और चले
युद्ध छेत्र मैं धराशIयी
माँ का आँचल छोड़ चले |
रक्त सिंचित इस वसुधा से
मेरे आंगन की सुगंध आती है
रुकते हुए इस ह्रदय गीत में
आपबीती दोहराती है |
नील वर्ण के प्रसस्त व्योम में
वृद्ध द्रंग नज़र आते हैं
सस्त्र सुसस्जित कन्धों को
देख जो भर जाते हैं |
मेरी छाती पे हस्त पड़ा है
मेरे उस साथी का
मधुर गीतों से जो गुंजित करता
अब वह प्राण त्याग चुका |
क्षण क्षण आँखों के आगे
मृत्यु अंधकार छाता जाता है
लो पुनः परम पिता का
विनम्र न्योता आता है |
याद आती है वह अदम्य एकता
युद्ध में जो बुन जाती थी
कन्धों से कन्धों मिलने पर
एक सुर में हुंकार लगाती थी |
सहसा कितना सुखद हो गया है
राड़भूमि पर मर जाना
वीर सपूतों के इतिहास में
अपना नाम अमर कर जाना |
यह प्रातः काल की बेला
आरुष की किरणे छायी हैं
वह देखो मेरी माँ
स्वेत वर्ण में आयी हैं
शहीद पुत्र का परम वीर चक्र
नीरांजलि में समायी हैं |
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